इटावा की राजनीति में जब भी महिलाओं के योगदान की बात होती है, तो सरिता भदौरिया का नाम अग्रणी रूप से लिया जाता है। उनके संघर्ष, नेतृत्व और समाज के प्रति समर्पण ने उन्हें एक अलग पहचान दी है। स्व. जयदेव सिंह चौहान की पुत्री और नैगवॉ (मैनपुरी) की मूल निवासी सरिता ने राजनीति और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में कई ऐसे कार्य किए हैं, जिनसे वे आज इटावा के लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
सरिता का जन्म 4 जनबरी 1963 को एक साधारण परिवार में हुआ। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने सामाजिक मुद्दों पर काम करना शुरू किया। स्नातक होने के बावजूद, उनका झुकाव पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने की ओर रहा। उन्होंने महिलाओं और बच्चों की शिक्षा और सशक्तिकरण को अपनी प्राथमिकता बनाया।
वैवाहिक और पारिवारिक जीवन
17 जून 1978 को विवाह के बंधन में बंधने के बाद सरिता का जीवन सुखद ढंग से चल रहा था, लेकिन उनके पति स्व. अभयवीर सिंह भदौरिया की हत्या ने उनके जीवन को झकझोर दिया। यह घटना एक बड़े व्यक्तिगत संकट के रूप में आई, लेकिन उन्होंने इसे अपने संघर्ष और हिम्मत का आधार बनाया। इस कठिन समय ने उन्हें जीवन में एक नई दिशा दी। सरिता ने अपने दर्द और पीड़ा को ताकत में बदला और राजनीति में कदम रखकर समाज और अपने परिवार के लिए न्याय की आवाज बुलंद की।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
सरिता भदौरिया ने राजनीति में अपने सफर की शुरुआत 1999 में कांग्रेस पार्टी से की। उन्होंने इटावा संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन यह चुनाव वे हार गईं। इसके बाद 2000 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा और 2004 के लोकसभा चुनाव में पुनः इटावा सीट से मैदान में उतरीं। हालांकि, यह चुनाव भी उनके लिए सफल नहीं रहा।
सामाजिक कार्यों के जरिए पहचान बनाई
हार से निराश होने के बजाय, सरिता ने सामाजिक कार्यों के माध्यम से जनता के बीच अपनी पहचान बनानी शुरू की। उन्होंने महिलाओं के उत्थान, शिक्षा, और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ काम करते हुए जनता के बीच लोकप्रियता हासिल की। उनका प्रयास यह साबित करता है कि समाज सेवा और जनता के बीच गहराई से जुड़ाव ही राजनीति में सफलता की कुंजी है।
भाजपा में उभरती नेता के रूप में पहचान
भाजपा में शामिल होने के बाद, सरिता भदौरिया ने पार्टी के लिए निष्ठापूर्वक काम किया।
- 2007 में उत्तर प्रदेश भाजपा इकाई की सचिव नियुक्त: संगठनात्मक कार्यों में अपनी दक्षता के चलते उन्हें इस पद पर जिम्मेदारी दी गई।
- 2010 में भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त: स्मृति ईरानी के नेतृत्व में महिला मोर्चा में उन्होंने महिलाओं से जुड़े मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया।
- 2013 में भाजपा उत्तर प्रदेश इकाई की उपाध्यक्ष: पार्टी में उनकी भूमिका लगातार मजबूत होती गई, और वे उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक प्रभावशाली चेहरा बन गईं।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की प्रदेशाध्यक्ष: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उन्होंने इस अभियान के माध्यम से महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों पर जोर दिया।
विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत
2017 में सरिता भदौरिया ने इटावा विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। यह सीट मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की गृह जनपद होने के कारण समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती थी। लेकिन सरिता ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को 17,234 वोटों से हराकर एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा और 4,277 वोटों के अंतर से विजय प्राप्त की। इस जीत ने यह साबित किया कि जनता के बीच उनकी लोकप्रियता और विश्वास मजबूत है।
नियमित सुनती हैं लोगो की समस्यायें
सरिता भदौरिया, इटावा की एकलौती ऐसी नेता हैं जो अपने क्षेत्र के लोगों के सुख-दुःख में नियमित रूप से शामिल होती हैं। जनता के बीच उनकी पहचान एक समर्पित और संवेदनशील जनसेवक के रूप में है। वह न केवल समस्याओं को सुनती हैं, बल्कि उनके समाधान के लिए भी तत्पर रहती हैं। यही कारण है कि सरिता भदौरिया अपने क्षेत्र में लोकप्रियता और विश्वास का प्रतीक बन चुकी हैं।
उनकी सादगी और सहजता उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती है। क्षेत्र में जब भी किसी आपदा या समस्या का सामना होता है, तो सरिता भदौरिया सबसे पहले वहां पहुंचकर लोगों के साथ खड़ी होती हैं। इसी वजह से लोग उन्हें न केवल एक नेता, बल्कि अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं। उनकी यह मेहनत और समर्पण उन्हें इटावा की राजनीति में एक मजबूत और लोकप्रिय चेहरा बनाता है।
इटावा की आयरन लेडी है सरिता भदौरिया
सरिता भदौरिया को “आयरन लेडी” उनकी असाधारण दृढ़ता और संघर्ष के कारण कहा जाता है। इटावा, जो स्व. मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव का गृह जनपद है, वहां भाजपा का पैर जमाना आसान नहीं था। सरिता भदौरिया ने अपनी मेहनत और नीतियों से यह असंभव सा दिखने वाला काम किया। उन्होंने न केवल भाजपा को इटावा में मजबूती दी, बल्कि क्षेत्र की जनता को भी यह विश्वास दिलाया कि भाजपा उनके विकास और कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
सरिता भदौरिया का जीवन साहस, संघर्ष और समाज सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण है। “इटावा की आयरन लेडी” के रूप में उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी अपनी दृढ़ता और निष्ठा के साथ बदलाव लाया जा सकता है। उन्होंने न केवल राजनीति में महिलाओं की भूमिका को सशक्त किया, बल्कि समाज के वंचित और उपेक्षित वर्गों के लिए एक मजबूत आवाज बनकर उभरीं। सरिता भदौरिया का नेतृत्व इटावा के लिए महत्वपूर्ण है, उनका जीवन संदेश देता है कि समर्पण, आत्मविश्वास और मेहनत से कोई भी बाधा पार की जा सकती है। वे वास्तव में “इटावा की आयरन लेडी” की उपाधि की सच्ची हकदार हैं।