इटावा। सोमवार को रोडवेज परिवहन निगम के संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मियों ने इटावा रोडवेज कार्यशाला में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। कर्मियों ने निजीकरण, ठेकेदारी प्रथा और पीपीपी मॉडल को लेकर अपनी चिंता जताई और कहा कि इससे निगम के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि निगम के कार्मिकों को निर्धारित तिथि से वेतन और महंगाई भत्ता नहीं मिल रहा है।
संविदा कर्मियों ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम से अलग हुए उत्तराखंड परिवहन निगम के संविदा कर्मियों को 2010 में नियमित कर दिया गया, लेकिन इटावा रोडवेज के संविदा कर्मियों को अब भी 2.80 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है। इसके अलावा, मृतक आश्रितों को पिछले लगभग सात वर्षों से नियमित नियुक्ति नहीं दी गई है। 2001 तक के संविदा चालकों और परिचालकों को शासन के आदेश के बावजूद नियमित नहीं किया गया है।
संविदा कर्मियों ने डग्गामार बसों के संचालन पर भी सवाल उठाया, कहा कि इन बसों का संचालन निगम की आय को प्रभावित कर रहा है, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि डग्गामार बसों के संचालन के कारण संविदा चालकों और परिचालकों के वेतन में कटौती हो रही है और प्रति ट्रिप अलग से कटौती की जा रही है।
कर्मियों ने यह भी कहा कि परिवहन निगम में आर्बिटरेशन की व्यवस्था नियमों के खिलाफ है और उत्तर प्रदेश सरकार ने उनकी लंबित मांगों पर अब तक कोई ध्यान नहीं दिया है। रोडवेज कर्मचारियों ने सरकार से अपनी मांगों को शीघ्र लागू करने की अपील की है और चेतावनी दी है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वे आंदोलन तेज करेंगे।