निचली गंग नहर और उससे निकलने वाले रजबहों में पानी का प्रवाह न होने के कारण क्षेत्र के किसानों को गेहूं की फसल की पहली सिंचाई निजी संसाधनों से करनी पड़ रही है। किसानों का कहना है कि गेहूं की फसल को अब सिंचाई की आवश्यकता है, क्योंकि 80 प्रतिशत से अधिक फसल 20 दिन से अधिक पुरानी हो चुकी है, जबकि कुछ खेतों में फसल एक माह की हो चुकी है।
सिंचाई विभाग द्वारा भोगनीपुर नहर और उसके रजवाहों एवं माइनरों की सफाई का कार्य समय पर पूरा न होने के कारण किसानों को यह समस्या झेलनी पड़ रही है। रबी फसलों की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है और मुख्य फसल गेहूं की बुवाई 90 प्रतिशत खेतों में पूरी हो गई है। ऐसे में गेहूं, सरसों और जौ जैसी फसलों में पहली सिंचाई की आवश्यकता महसूस की जा रही है। जिन किसानों की फसल 25 दिन से अधिक पुरानी हो चुकी है, वे किसी तरह नलकूप और पंपिंग सेट जैसे निजी साधनों का उपयोग कर सिंचाई कर रहे हैं। किसान सभोध त्रिपाठी ने बताया कि उन्हें 35 बीघे की गेहूं की फसल की सिंचाई नलकूप से करनी पड़ी। इसके लिए उन्होंने पंपिंग सेट का उपयोग किया, जिसका किराया 225 रुपये प्रति घंटे देना पड़ा।
भोगनीपुर निचली गंग नहर की सिल्ट सफाई का कार्य अभी तक पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। नहर से निकलने वाले कुहरिया, सुनवर्षा, महेचा, विधीपुरा और इंगुरी रजवाहों के साथ चकवर, नसोदीपुर और किशनपुरा की माइनरों की सफाई का कार्य भी अधूरा है। हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि कई जगह सफाई का काम पूरा कर लिया गया है। किसानों ने मांग की है कि नहरों में पानी का प्रवाह जल्द से जल्द सुनिश्चित किया जाए ताकि उन्हें अपनी फसल की सिंचाई के लिए निजी साधनों पर निर्भर न रहना पड़े।