कुश चतुर्वेदी…
इटावा जनपद की हिन्दी पत्रकारिता के स्तम्भ,सहजता,सरलता के प्रतीक पुरुष आदरणीय लालाराम चतुर्वेदी की आज पुण्यतिथि है। हम लोगों ने उनके संरक्षण में दैनिक दिन रात के पटल से लिखना पढ़ना सीखा।एक लेखक और पत्रकार की दृष्टि को कैसे विस्तार दिया जा सकता है लालाराम दद्दा के साथ सहज बातचीत में समझ मे आ सकता था।उन्होंने औपचारिक शिक्षा अधिक नहीं पाई थी किंतु जीवन की कठिनाइयों से संघर्ष शक्ति ने उन्हें इतना परिपक्व बना दिया कि वे पूरा विश्वविद्यालय बन गए।इटावा में दैनिक दिन रात के संचालक के रूप में उन्होंने कई क्रांतिकारी प्रयोग किए। टेली प्रिंटर का पहला प्रयोग,आटोमेटिक प्रिंटिंग मशीन का पहला प्रयोग,विधानसभा में दिन रात को स्थान मिलना आदि आदि उनके दूर दृष्टि का ही परिणाम था।आंचलिक और ग्रामीण पत्रकारिता के प्रति उनका झुकाव बहुत अधिक था।गांव गांव में संवाद सूत्र बनाकर उन्हें पत्रकारिता से जोड़ना उन्हें रुचिकर था।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रति उनकी आस्था अटूट थी।अखबार की स्वतंत्रता में उनकी निजी आस्था कभी आड़े नहीं आई।आदरणीय बलराम सिंह यादव से उनका प्रगाढ़ मैत्री भाव था।आदरणीय मुलायम सिंह जी यादव और गौरी शंकर जी से भी उनके बड़े आत्मीय संबंध रहे।अखबार चलाना सहज नहीं होता किंतु उन्होंने अपने सहज स्वभाव से इस कंटक मार्ग को भी सहज बना दिया।
मेरे पूज्य पिताश्री के भी वह बहुत प्रिय थे ,पूज्य पिताजी के बाद मुझे उनका पितृवत साया मिलता रहा।मेरे लेखन को न केवल अखबार में प्रमुख स्थान मिलता रहा अपितु उनके ह्रदय में भी मेरे प्रति बात्सलय भाव था। ऐसे अनेक लेखक,पत्रकारों के दद्दा प्रेरणास्रोत थे। जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझकर पार उतरना उन्हें बखूबी आता था ।दैनिक दिन रात आज भी गतिवान है किंतु लालाराम दद्दा का प्रेरक व्यक्तित्व अब कहां ? उन्हें इटावा की पत्रकारिता शायद कभी विस्मृत न कर पाए। कोटिश:नमन।

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