Sunday, February 16, 2025

इच्छाओं को वश में रखना व वाणी व्यवहार से संयमित होना रोज़ा है– मौलाना इरफान चिश्ती

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इटावा। मौलाना मुहम्मद इरफान चिश्ती ( छात्र जामिया समदिया फफूंद शरीफ) ने बताया रोजे़दारों के लिए रोज़ा रखने का अर्थ है इच्छाओं को वश में रखना यह खाने-पीने और संयमित जीवन गुज़ारने का संदेश देता है संयम का अर्थ है वाणी और भूख प्यास पर नियंत्रण इच्छाओं के माध्यम आंख कान वह मुंह है ऐसे में बोलते सुनते व देखते हैं इससे भी वश में करना है ऐसा कुछ नहीं बोलना सुनना और देखना चाहिए जिसकी इजाज़त नहीं है हम इबादत कर रहे हैं क्योंकि रोज़ा इंसान को ज़माने में हर बुराई से दूर रखता है रोजे़दार स्वयं उसकी पवित्रता के गवाह होते हैं वह खुदा की निगाह में है अच्छा और अनिवार्य कार्य छोड़े नहीं रमज़ान के बरकतों वाले महीने में अल्लाह अपने बंदों को बेशुमार नेमतों से नवाज़ता है पैगंबर हज़रत मोहम्मद साहब ने रमज़ान के 30 दिनों को तीन भागों में विभाजित किया है पहला 10 दिन रहमत अर्थात अल्लाह की कृपा व दया के प्राप्ति के हैं दूसरा 10 दिन मग़फिरत अर्थात क्षमा की प्राप्ति के हैं जबकि तीसरे 10 दिन न जहन्नम यानी नर्क से की आग से बचने के हैं पैगंबर मोहम्मद साहब ने हमें यह आदेश दिया है कि रमज़ान के मुबारक महीने में अपने गरीब पड़ोसी की अपनी हैसियत के मुताबिक मदद करें ताकि उनके भी रमज़ान अच्छे से गुजर सकें सब मुसलमानों को चाहिए कि रमज़ान शरीफ का खूब एहतराम करें।

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