भरथना (रिपोर्ट- तनुज श्रीवास्तव, 9720063658)- भागवत कथा से जीवन में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण से व्यक्ति के विचारों में बदलाव होने पर उसका आचरण भी परिवर्तित हो जाता है।
उक्त बात कस्बा के विधूना रोड स्थित शक्तिपीठ श्री बालरूप हनुमान जी महाराज हनुमान गढी (छोला मन्दिर) पर आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह कलामृत समारोह के दौरान कथा का श्रवण कराते हुए सरस कथावाचक आचार्य देवीप्रसाद तिवारी ने कही। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा की लीला का वर्णन करते हुए कहा कि जिसके पास प्रेमधन है, वह कभी निर्धन नहीं हो सकता। मित्रता में राजा और रंक सभी एक समान हैं, इसमें कोई भेदभाव नहीं होता। उन्होंने कथा सुनाते हुए कहा कि सुदामा का नाम सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने के लिए राजमहल के द्वार पर पहुँच गये थे। यह दृश्य देखकर सभी आश्चर्यचकित थे, आखिर सुदामा में ऐसा क्या है, कि भगवान दौडे चले आये। बस यही सच्ची मित्रता का प्रतीक है। साथ ही कथावाचक श्री तिवारी ने अन्य प्रसंगों का भी मार्मिक वर्णन किया। इस मौके पर परीक्षित सत्यपाल सिंह जादौन, बृजपाल सिंह जादौन, मन्दिर प्रबन्धक राजू चौहान, राजेश चौहान, संजीव श्रीवास्तव, रूद्रपाल सिंह भदौरिया, सोनपाल सिंह, मलखान सिंह जादौन, विजय सिंह, अभयप्रताप सिंह आदि का विशेष सहयोग रहा।