इटावा। श्री धाम वृंदावन से पधारे भागवत कथा व्यास डॉ०संजय कृष्ण “सलिल जी” महाराज ने श्रीराम समारोह स्थल पर द्वितीय दिवस की कथा में प्रवचन करते हुए कहा कि भागवत सभी पुराणों का सार भूत ग्रंथ है। इसके दर्शन,मनन, श्रवण से जीव को ईश्वर की प्राप्त हो जाती है। यह सभी पुराणों का सुमेरु है।
मित्तल परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा में उन्होंने कहा कि इस कलिकाल में मनुष्यों का श्रेय साधन भागवत महापुराण है। जीव मात्र जो भी इच्छा (संकल्प) लेकर श्रवण इसे श्रवण करता है, ठाकुरजी उसके संकल्प को निश्चित पूर्ण करते हैं। उन्होंने कहा कि जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत तक की यात्रा भागवत कथा श्रवण से सफल हो जाती है। जब मनुष्य कथा सुनने बैठता है तो ठाकुर जी उसके हृदय में विराजित हो जाते हैं और उसकी पाप राशि को नष्ट कर देते हैं।
श्रीराम समारोह स्थल के सभागार में आए हुए भक्तजनों को कथामृत पान कराते हुए डॉ०संजय कृष्ण सलिल जी ने आगे कहा कि भक्ति मार्ग वही चलते हैं,जिस पर ईश्वर की कृपा होती है। मनुष्य के हृदय में जो ग्रंथियां होती हैं,वह सभी खुल जाती हैं,सभी संदेह दूर हो जाते हैं। कर्म राशियां समाप्त हो जाती हैं और ईश्वर के दर्शन हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि नारदजी के उपदेश से व्यासजी का असंतोष दूर हो जाता है और वे कृष्ण भक्तिमय ग्रंथ भागवत की रचना करते हैं। उसके बाद वे अपने पुत्र शुकदेव को भागवत पढ़ाते हैं,वही शुकदेव राजा परीक्षित को भागवत सुनाते हैं,परीक्षित को भगवत प्राप्ति हो जाती है। शुक्रवार की कथा में शुकदेवजी महाराज की झांकी भी दिखाई गई।कथा के अंत में श्रीमती किरन मित्तल,प्रिया मित्तल,कोमल मित्तल, हर्षिता मित्तल,आनंद मित्तल,मुकुंद मित्तल एवं दीपक मित्तल ने आरती की और सभी को प्रसाद वितरण किया।