भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) के प्रदेशीय आहवान पर उ0प्र0 में प्राथमिक विधालयों के विलय के विरोध में माकपा द्वारा कचहरी पर प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए पार्टी के जिलामंत्री नाथूराम यादव ने कहा कि प्राथमिक विधालयों का विलय वास्तव में सरकारी विधालयों को बंद करने की शुरूआत है। सरकार धीरे-धीरे शिक्षा पूर्णतया निजी हाथों में सौपना चाहती है। सरकार ने प्राथमिक शिक्षा में सुधार करने के अपने कर्तव्य को दरकिनार कर विधालयों को बंद करने का निर्णय एक सोची-समझी साजिश के तहत किया है। सरकार ने एक तीर से दो निशाने साधें है। पहला 1.26 लाख रिक्त पडे शिक्षकों के पदो पर भर्ती नही करनी पडेगी और दूसरा गांव देहात तथा शहरों कस्बो के गरीब तबके के बच्चों को शिक्षा से वंचित रखने का मंसूबा भी पूरा हो जायेगा। शिक्षको की नियुक्ति के सम्बंध में मुख्यमंत्री और प्राथमिक शिक्षा राज्यमंत्री के बयान परस्पर विरोधी है।
मुख्यमंत्री जल्द से जल्द खाली पडे पदों को भरने की बातें करते है, वहीं शिक्षा मंत्री कहते हैं कि विधालयों के विलय के बाद शिक्षको का समायोजन करने के बाद जितने पद रिक्त होगें उतने पदेां पर शिक्षको की भर्ती की जायेगी। लगभग 28000 विधालयों की पेयरिंग के बाद शिक्षको के खाली पद ही नही रहेगें। उन्होने कहा कि 7 साल में 16 लाख युवक-युवतियां प्रशिक्षित होकर शिक्षक बनने के लिए भटक रहे है। भर्ती निकलने के लिये धरने दे रहे है। पहले चरण में सरकार द्वारा 5000 विधालय बंद कर दिये गये हैं।
सचिव मंडल सदस्य संतोष शाक्य ने कहा कि माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी विधालयों को बंद करने का पूरी ताकत से विरोध करेगी और जनता के बीच जाकर सरकार द्वारा शिक्षा के अधिकार को छीनने के असंवैधानिक कदम का पर्दाफाश करेगी। सचिव मंडल सदस्य डा0 शौकीन सिंह और संतोष राजपूत ने बंद हुये विधालयों की रसोइया कर्मचारियों को उन विधालयांे में समायोजित करने की मांग की जहां बंद हुये विधालयों के बच्चों को भेजा गया है। उन्होने यह भी कहा कि बंद हुये विधालयों के बच्चों को अब दूर के विधालयों में जाना पडेगा। उन्हे आने जाने में तो परेशानी होगी ही उनकी असुरक्षा ,खासकर आज के दूषित वातावरण में बच्चियोें को दूर जाकर पढने में बहुत खतरा बढ जायेगा।
इस अवसर पर जिला कमेटी सदस्य रामवरन सिंह, मोनू यादव, पूर्व जिला कमेटी सदस्य विश्राम सिंह, रसाइेया यूनियन की अध्यक्ष उमा देवी और मनोज राठौर ने भी अपने विचार व्यक्त किये। मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा गया।