बकेवर:- लखना कस्बा के समीपवर्ती ग्राम बसैयाहार में चल रही भागवत कथा की लहर में कथा के छठवें दिन सरस कथा वाचक आचार्य पंडित कामतानाथ किकंर व्यास जी महाराज के मुखारविंद से भगवान श्री कृष्ण व भाई बलराम दाऊ जी कंस के बुलावे पर अक्रूर जी के साथ गोकुल से मथुरा के लिए चले तो रास्ते में अक्रूर जी ने यमुना नदी में स्नान करने गये हुए थे।
तभी ईश्वर की कृपा के चलते भगवान श्री कृष्ण ने अक्रूर जी का उद्धार करते हुए अपने साक्षात चतुर्भुज रूप के दर्शन कराये तदोपरांत मथुरा नगरी में प्रवेश करते समय भगवान श्री कृष्ण की भक्त कुब्जा गोपी का उद्धार करते हुए सुन्दर रूप प्रदान किया एवं आगे चलकर कंस के महल में रखा भगवान शिव का धनुष को तोड़ दिया तथा शराब के नशे में मदमस्त कुबिलीया पीडं हाथी को भी मार डाला इसके उपरांत कंस का बंध कर दिया।
राजगद्दी पर जेल में बंद राजा अग्रसेन को राजगद्दी पर बैठाया इसके कुछ समय गुजरने के बाद भगवान श्री कृष्ण को गोकुल की याद आने लगी तो उन्होंने निराकार ब्रह्म के उपासक उद्धव जी को गोकुल वृंदावन में गोपियों को धीरज बंधाने के लिए भेजा वहां पहुंच कर उद्धव का रथ देख वृज की गोपियों ने उद्धव का रथ घेर लिया श्री कृष्ण के हालचाल पूछने लगी तो निराकार ब्रह्म के उपासक उद्धव ने बहुत कोशिश की कि भगवान श्री कृष्ण साधारण मनुष्य है पागल हो इससे उद्धार नहीं होगा मार्मिक तरीके से विरह की लीला का बखान करते हुए व्यास जी ने आगे कहा कि वो साधारण गोपियां नहीं थीं।
गोपियां उद्धव जी को बताने लगी कि हमारा तो एक मन है वो भी कन्हैया के संग चला गया है अब आपके ईश्वर की आराधना कौन करे वृज क्षेत्र की राधा रानी जी से उद्धव जी कहने लगे कि श्री कृष्ण के प्रेम उद्धार नहीं होगा निराकार ब्रह्म की उपासना करों तभी उद्धार होगा तो वृषभानु दुलारी राधा रानी ने कहा कि उद्धार नहीं चाहिए मुझे मेरा कृष्ण चाहिए संसार में कृष्ण ही मेरा सबकुछ है यह कथा बहुत ही मार्मिक तरीके से विरह वेदना की कथा से श्रोताओं के नैनों आंखों से भावुक हो आंसू निकल रहे थे।
पूरा पांडाल भक्ति मय हो गया था इसके तदोपरांत आचार्य पंडित कामतानाथ किकंर व्यास जी महाराज जी के मुखारविंद से राजा कंस जो जरासंध का दामाद का बंध हो जाने से कुपित होकर मथुरा पर आक्रमण कर दिया जरासंध ने दामाद का बंध करने का बदला लेने के उद्देश्य से 17 वार मथुरा पर आक्रमण किया था इस कथा भागवत के आयोजक श्री मती सुमन श्याम मोहन तिवारी श्री मती समता राममोहन तिवारी श्रीमती रेखा रानी गजेन्द्र बाबू तिवारी श्रीमती सुनीता धमेंद्र तिवारी पूर्व प्रधान मनोज तिवारी बसैयाहार का विशेष योगदान रहा।