अपशिष्ट प्रबंधन एवं सतत विकास हेतु पुनर्चक्रीकरण रणनीतियों पर आधारित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का पहली बार हाइब्रिड मोड में आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन क्षेत्रीय निदेशक, इग्नू, अलीगढ़ डॉ. अजय वर्धन आचार्य, प्राचार्य प्रो. राजेश किशोर त्रिपाठी, कार्यशाला संयोजक प्रो. एम.पी. सिंह, सह-संयोजक प्रो. ललित गुप्ता एवं आयोजन सचिव डॉ. नवीन अवस्थी ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
प्राचार्य प्रो. राजेश किशोर त्रिपाठी ने मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों का अभिनंदन किया और कार्यशाला की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसे भविष्य की महत्वपूर्ण आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन रिसर्च, डेवलपमेंट एवं इनोवेशन को बढ़ावा देने में सहायक होंगे।
कार्यशाला में डेयरी वेस्ट मैनेजमेंट, अवशिष्ट प्रबंधन, कार्बनिक खेती एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सतत कृषि को प्रोत्साहित करने जैसे विषयों पर गहन चर्चा की गई। संयोजक प्रो. एम.पी. सिंह ने कार्यशाला की थीम पर विस्तार से जानकारी दी।
मुख्य अतिथि एवं की-नोट स्पीकर डॉ. अजय वर्धन आचार्य ने वेस्ट मैनेजमेंट एंड रीसाइक्लिंग स्ट्रैटेजीज फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत अपशिष्ट प्रबंधन पर व्यापक कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि “विकसित भारत 2047” अभियान की सफलता के लिए सतत अपशिष्ट प्रबंधन आवश्यक है और वैज्ञानिकों को इस विषय पर चिंतन करना चाहिए।
केस वेस्टर्न यूनिवर्सिटी, यूएसए से डॉ. राघव अवस्थी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित अपशिष्ट प्रबंधन पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि एआई-संचालित अपशिष्ट छँटाई, ऊर्जा पूर्वानुमान और अपशिष्ट अनुकूलन कैसे नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं।ब्रेन एक्स एआई, क्लीवलैंड, ओहियो, यूएसए से डॉ. श्रेया मिश्रा ने जीनोमिक डेटा विज्ञान एवं अपशिष्ट प्रबंधन के एकीकरण पर प्रकाश डाला। डॉ. योगेंद्र कुमार (नेशनल यूनिवर्सिटी, सिंगापुर) ने वैश्विक अपशिष्ट प्रबंधन पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
प्रथम तकनीकी सत्र में डॉ. दिव्यांश पांडेय ने एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, निर्मल कुमार ने स्मार्ट वेस्ट मैनेजमेंट इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी, तथा डॉ. संजय कुमार विश्वकर्मा ने कृषि अपशिष्ट प्रबंधन पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। इस सत्र का संचालन प्रो. ए. के. पांडेय ने किया।द्वितीय तकनीकी सत्र में श्याम बाबू मिश्रा (सेवानिवृत्त रेंजर, वन विभाग) ने वैश्विक प्रदूषण पर चर्चा की। सीएसजेएमयू, कानपुर के डॉ. अर्पित दुबे ने ई-वेस्ट मैनेजमेंट और डॉ. प्रकाश दुबे ने भौतिकी में पुनर्चक्रीकरण रणनीतियों एवं तकनीक पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। इस सत्र का संचालन प्रो. नलिनी शुक्ला ने किया, जबकि पर्यावरणविद एवं वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. आशीष त्रिपाठी को-चेयर के रूप में उपस्थित रहे।