Friday, October 3, 2025

सैफई में दुर्लभ जन्मजात विकार से पीड़ित नवजात का सफल ऑपरेशन

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 सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने एक दुर्लभ जन्मजात विकार से पीड़ित नवजात शिशु का सफल ऑपरेशन कर उसे नई जिंदगी दी। पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. राफे अब्दुल रहमान और डॉ. सर्वेश कुमार गुप्ता की अगुवाई में यह जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की गई।

बदायूं के  सराय निवासी मोहाज्जम और गुड़िया की पहली संतान को जन्म के समय से ही दूध पीने में कठिनाई हो रही थी। दूध पीते ही नाक और मुंह से दूध और लार का रिसाव होता था, साथ ही शिशु को सांस लेने में भी गंभीर दिक्कत हो रही थी। पहले उसे बदायूं मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां शुरुआती जांच में इसोफेजियल एट्रेसिया और ट्रेकियो-इसोफेजियल फिस्टुला की आशंका जताई गई। इसके बाद डॉक्टरों ने शिशु को सैफई के सुपर स्पेशियलिटी पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में रेफर किया।

जब बच्ची को सैफई अस्पताल में भर्ती किया गया, तब उसकी उम्र मात्र चार दिन थी और उसकी स्थिति अत्यंत नाजुक थी। उसे स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में भर्ती किया गया, जहां सभी जरूरी जांचें की गईं। बच्ची का वजन सिर्फ 1.8 किलोग्राम था और उसके पेट में सूजन, सेप्सिस और सांस की गंभीर समस्या पाई गई। रेडियोलॉजिकल जांच में पता चला कि नवजात इसोफेजियल एट्रेसिया, ट्रेकियो-इसोफेजियल फिस्टुला और आंत में छिद्र जैसी जटिलताओं से पीड़ित है।

चार घंटे तक चली जटिल सर्जरी में थोराकोटॉमी तकनीक का उपयोग किया गया। सबसे पहले दाहिने फेफड़े के पास से फिस्टुला को बंद किया गया, फिर खाने की नली की मरम्मत की गई। इसके बाद लैप्रोटोमी तकनीक से पेट के अंदर हुए बड़े छिद्र को भी ठीक किया गया। ऑपरेशन के दौरान एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. अतीत ने किया, जबकि पूरी सर्जरी की निगरानी पीडियाट्रिक विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. आई.के. शर्मा ने की। ऑपरेशन के बाद बच्ची को दो दिन तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया और बाल रोग विशेषज्ञों की टीम ने नियमित निगरानी से नवजात के सेप्सिस को नियंत्रित किया।

छठवें दिन नवजात को नासोगैस्ट्रिक ट्यूब से भोजन देना शुरू किया गया, जिसे उसने धीरे-धीरे स्वीकार करना शुरू कर दिया। नौवें दिन उसे मुंह से आहार देने की अनुमति दी गई, और चौदहवें दिन पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। डॉक्टरों ने बताया कि इस बीमारी में यदि समय पर सर्जरी न की जाए, तो नवजात के जीवित रहने की संभावना बेहद कम हो जाती है।

इस सफल ऑपरेशन पर कुलपति प्रो. (डॉ.) पी.के. जैन, प्रतिकुलपति डॉ. रमाकांत यादव, चिकित्सा संकायाध्यक्ष डॉ. आदेश कुमार, कुलसचिव डॉ. चंद्रवीर सिंह और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एस.पी. सिंह ने ऑपरेशन टीम को बधाई दी। विशेषज्ञों ने माता-पिता से अपील की कि यदि नवजात शिशुओं में दूध निगलने में कठिनाई, नाक-मुंह से लार का बहाव, सांस लेने में परेशानी, खांसी या बार-बार निमोनिया जैसी समस्याएं दिखें तो तुरंत पीडियाट्रिक सर्जरी विशेषज्ञ से परामर्श लें, ताकि समय रहते सही इलाज हो सके।

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