सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में दूर-दराज के जनपदों से मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें से अधिकांश गरीब वर्ग से होते हैं, जो आयुष्मान योजना के तहत लाभ पाने के पात्र तो हैं, लेकिन उनके पास समय पर आयुष्मान कार्ड नहीं होते। इस समस्या को हल करने के लिए अस्पताल में आयुष्मान मित्र तैनात किए गए हैं, लेकिन तीमारदारों का आरोप है कि ये कर्मचारी न केवल लापरवाह हैं, बल्कि मरीजों को सही और मुफ्त इलाज देने में भी असमर्थ हैं।
आयुष्मान कार्ड की स्थिति जमीनी स्तर पर बहुत खराब है, जिसके कारण अस्पताल में भर्ती मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। मरीजों और उनके तीमारदारों के अनुसार, भले ही उनके पास आयुष्मान कार्ड हो, लेकिन अस्पताल में भर्ती के लिए उन्हें समय पर इलाज की अनुमति नहीं मिल रही है।
आयुष्मान कार्ड की केवाईसी कराने के बाद लखनऊ से स्वीकृति आने की प्रक्रिया में देरी के चलते मरीजों के ऑपरेशन टाले जा रहे हैं और उन्हें अनावश्यक चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। तीमारदारों ने यह भी शिकायत की है कि कार्ड बनवाने के लिए घंटों कतार में खड़ा रहने के बावजूद कोई मदद नहीं मिल रही है, जिससे उनकी परेशानी बढ़ रही है।
पंकज कुमार ने बताया कि उनकी मां अस्पताल में भर्ती हैं और उनका आयुष्मान कार्ड पहले से बना हुआ है, लेकिन इलाज के लिए अनुमति नहीं मिल रही है। वहीं, विश्वनाथ प्रताप सिंह का कहना है कि तीन दिन से काउंटर के चक्कर काट रहे हैं और हर बार यह जवाब मिलता है कि लखनऊ से अनुमति मिलेगी, इस बीच उन्हें दवाओं और जांच के लिए भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए संबंधित अधिकारियों से उचित कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है, ताकि गरीब वर्ग के मरीजों को समय पर इलाज मिल सके और आयुष्मान योजना का लाभ उन्हें पूरी तरह से मिले।