ऊसराहार। ग्राम सौंथना में मत्स्य पालन के लिए पट्टे पर आवंटित तालाबों पर खेती किए जाने को लेकर ग्रामीणों ने नाराजगी जताई है। ग्रामीणों का आरोप है कि हृदयराम पुत्र मदारीलाल, जो इस तालाब का पट्टा प्राप्तकर्ता हैं, वह तालाब में मत्स्य पालन का कार्य न करके खेती कर रहे हैं। इससे तालाब की उपयोगिता खत्म हो रही है और मत्स्य पालन के लिए निर्धारित भूमि का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है।
ग्राम सौंथना के ग्रामीणों ने बताया कि इस तालाब का कुल क्षेत्रफल 7.71 हेक्टेयर है, जो हृदयराम के नाम पर आवंटित किया गया था। उनका कहना है कि जब से यह तालाब हृदयराम को आवंटित हुआ है, तब से वह तालाब की भूमि पर खेती कर रहे हैं, जिससे मत्स्य पालन के लिए बनाई गई व्यवस्था का उल्लंघन हो रहा है। इससे तालाब की भूमि की जैविक विविधता और उसकी उपयोगिता भी प्रभावित हो रही है।
ग्रामवासियों का कहना है कि इस तालाब की करीब पांच हेक्टेयर भूमि का अस्तित्व ही खत्म हो चुका है, क्योंकि वहां पर खेती की जा रही है। यह गंभीर समस्या बन चुकी है, लेकिन न तो तहसील प्रशासन और न ही मत्स्य विभाग ने इस पर कोई ठोस कदम उठाया है। तालाबों के स्थलीय सत्यापन की भी कोई आवश्यकता नहीं समझी जा रही है, जो इस मामले में गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
तहसीलदार ताखा, मोहम्मद असलम ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें इस विषय की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले को जरूर जांचेंगे और इसके बारे में मत्स्य विभाग को अवगत कराएंगे। प्रशासन ने मामले को संज्ञान में लिया है और जल्द ही जांच की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस मुद्दे का समाधान शीघ्र निकाला जाए और पट्टे पर दिए गए तालाबों की जमीन पर खेती करने की अनुमति न दी जाए। उनका कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो तालाबों की पहचान समाप्त हो जाएगी और मत्स्य पालन के लिए निर्धारित भूमि का कोई मतलब नहीं रहेगा।
इस बैठक में ग्राम सचिवों ने अपनी समस्याओं को भी सामने रखा और बीडीओ से समाधान की उम्मीद जताई। बीडीओ ने उनकी समस्याओं का समाधान शीघ्र निकालने का आश्वासन दिया।