बकेवर। सर्दी के मौसम में पशुओं में निमोनिया और संक्रमण का खतरा बढ़ गया है, जिसके कारण पशुपालकों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। साथ ही, इस मौसम में पशुओं में घुड़का बीमारी भी फैल रही है, जिससे उनकी सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। यदि इन बीमारियों का समय पर इलाज न किया जाए तो इससे पशुओं की मौत तक हो सकती है। पशुपालकों को घबराने की बजाय सही देखभाल और उपचार से अपने पशुओं को इन बीमारियों से बचाया जा सकता है।
बकेवर पशु चिकित्सालय के चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनय मिश्रा ने बताया कि सर्दी के दौरान पशुपालक गाय-भैंस और अन्य जानवरों को ठंड से बचाने के लिए पशुशाला में घासफूस और पुआल बिछाते हैं। यह एक सामान्य उपाय है, लेकिन इसका एक दुष्प्रभाव भी है। पशुपालक अक्सर घासफूस और पुआल को लंबे समय तक बदलते नहीं हैं, जबकि पशु इसे गीला और गंदा कर देते हैं। सर्दी में गीली और गंदगी वाली घासफूस से पशुओं को निमोनिया का खतरा बढ़ सकता है, साथ ही डायरिया जैसी बीमारियां भी फैल सकती हैं।
पशुधन प्रसार अधिकारी डॉ. अनिल वीर सिंह चौहान ने कहा कि पशुपालकों को चाहिए कि वे अपने पशुओं को ठंडी हवाओं से बचाकर रखें। खासकर रात के समय पशुओं को बंद और सुरक्षित जगह पर रखें, ताकि वे ठंड से बच सकें। अगर जरूरी हो, तो उन्हें आग से भी तपाकर गर्मी प्रदान करें। इस तरह की सावधानियों से पशुओं को सर्दी से संबंधित बीमारियों से बचाया जा सकता है और उनकी सेहत में सुधार किया जा सकता है।
इस मौसम में सर्दी के प्रभाव से पशुओं का इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे वे बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। पशुपालकों को चाहिए कि वे नियमित रूप से अपने पशुओं की स्थिति की जांच करें और किसी भी असामान्यता के लिए तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें। समय पर इलाज से पशुओं की जान बचाई जा सकती है।
सर्दी और ठंड के इस मौसम में पशुपालकों को अपने पशुओं की विशेष देखभाल करनी चाहिए। घासफूस को समय-समय पर बदलना, ठंडी जगह से बचाना और उचित इलाज के उपायों को अपनाकर पशुओं को इन गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है।