जनपद इटावा में पूर्व में अखिलेश सरकार ने जनपद में खिलाड़ियों के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू तथा खिलाड़ियों के लिए इटावा सैफई में क्रिकेट स्टेडियम, तरण ताल, हॉकी स्टेडियम, टेनिस कोर्ट,जैसी अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई थी। लेकिन सट्टा जाने के बाद इन सुविधाओं को बढ़ावा नहीं दिया और न ही उनके द्वारा कराए कार्यों की देख रेख की गई । जिस इटावा ने देश को शकील अहमद,अजीत सिंह यादव, अवनीश यादव, विवेक गुप्ता एवं देवेश चौहान जैसे प्रख्यात ओलंपियन, पैरालंपिक एवं कई अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी देकर देश में इटावा का नाम और सम्मान बढ़ाया हो उसी इटावा जनपद में हॉकी के नाम पर युवा खिलाड़ियों की हो रही दुर्गति।
अखिलेश सरकार में लाखों करोड़ों रुपए से बना महात्मा ज्योतिबा फुले एस्ट्रोटर्फ मैदान की देखरेख न होने के चलते युवा खिलाड़ियों के लिए चोट का मैदान साबित हो रहा है। इटावा सैफई में खिलाड़ियों के लिए महत्वपूर्ण स्टेडियम की सौगात दी गई थी। लेकिन इन दिनों सभी सौगातों पर ग्रहण छाया हुआ है।
एस्ट्रोटर्फ (हॉकी का मैदान) जो कि प्लास्टिक की घास का बना होता है और जिस पर बिना पानी के छिड़काव कर खेलना हॉकी खिलाड़ियों की फिटनेस को खत्म करने जैसा होता है इन दिनों पानी का छिड़काव न होने के कारण, खिलाड़ियों को इंजरी का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या पिछले कई महीनों से चल रही है, जिससे हॉकी स्टेडियम में खेल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। यह हाल सिर्फ इटावा के स्टेडियम क्या ही नही है सैफई में जहां पर हॉकी का छात्रावास भी है जहां प्रदेश भर से हॉकी खिलाड़ी एडमिशन लेकर आते है वहां भी स्टेडियम की हालत दिन ब दिन बद्तर होती जा रही है खेलो इंडिया जेसे सरकारी कार्यक्रम सिर्फ दिखावा साबित हो रहे।
जिला क्रीड़ाधिकारी को बार बार अवगत कराए जाने के बाद भी इस समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। मोटर और पाइप लाइन की खराबी के चलते एस्ट्रोटर्फ पर पानी का छिड़काव न होने के चलते खिलाड़ियों को बराबर चोटें आ रही हैं जिससे युवा खिलाड़ियों का खेल प्रभावित हो रहा है। हॉकी खिलाड़ी क्रीड़ाधिकारी को फ़ोन लगाते तो उनका फ़ोन रिसीव नहीं किया जाता है।
जनपद में सौंदर्यीकरण के लिए तो कई जगह कार्य किये जा रहे हैं। यहां तक कि डीएम आवास हो या एसएसपी आवास के बाहर बड़े बड़े गेट बन गए, जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालय की बात हो चहुओर कार्य हुए…यहां तक कि चुनाव चल रहे हैं और सत्ता पक्ष हो या विपक्ष प्रचार में पैसा भरपूर खर्च कर रहे हैं लेकिन जब खिलाड़ियों की बात है तो उन्हें बेहाल छोड़ दिया जाता है। शिकायत करने के बाद भी आखिर जिला क्रीडा अधिकारी क्यों बने है मौन इस ओर किसी का ध्यान क्यों नहीं गया?
ख़िलाडियों ने इसको लेकर कई बार क्रीड़ाधिकारी को अवगत कराया लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।वहां मौजूद खिलाड़ियों ने बताया कि 3 महीने होने को हैं, कई बार इसको सही कराने को लेकर कहा गया लेकिन कोई सुनावई नहीं हुई।
जब इसको लेकर वहां के बाबू से बात की गई तो उन्होंने 1 महीने से इस समस्या की बात कही और 10 मई को एसडीएम सदर को भी पत्र द्वारा जानकारी देने की बात कही और चुनाव का हवाला देकर टाल दिया।
लेकिन सवाल वहीं है आखिर 3 महीने बीत गए अगर चुनाव का भी हवाला दिया जाए तो चुनाव 19 अप्रैल से स्टार्ट हुए और समस्या 3 महीने से है तो फिर सभी लोग मूकदर्शक क्यों बने हुए हैं?
आखिर राष्ट्रीय खेल हॉकी की इटावा में इस दुर्गति का कौन है ज़िम्मेदार? वही इटावा स्टेडियम में कई बार जिलाधिकारी जो कि क्रिकेट के बेहतरीन खिलाड़ी है और कई बार प्रशासन के अधिकारियों के बीच मैत्री क्रिकेट मैच आयोजित किए जाते है… काश कि जिलाधिकारी महोदय क्रिकेट के साथ राष्ट्रीय खेल हॉकी में भी इंट्रेस्ट लेकर यह जानने की कोशिश करे कि जिस इटावा ने देश को कई अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी दिए उस इटावा में एस्ट्रोटर्फ मैदान की क्या स्तिथ है।
हॉकी खिलाड़ियों में इन दिनों हॉकी स्टेडियम की अनदेखी होने से काफ़ी नाराजगी जताई जा रही है।