जसवंतनगर: मोहल्ला लुधपुरा में पधारे जैन समाज के क्रांतिकारी संत मुनि 108 प्रतीक सागर जी महाराज ने अपने प्रवचनों द्वारा जैन अनुयायियों को उपदेश देकर कहा है कि जियो और जीने दो।
इस देवेंद्र कुमार जैन, मौके पर प्रदीप कुमार जैन, मुकेश कुमार जैन, पिंटू जैन आदि मौजूद थे।
क्रांतिकारी संत मुनि 108 प्रतीक सागर जी महाराज जी बताते है कि हर घर मेें एक मां होती है। जब बच्चा जन्म लेता है तो सबसे पहले मां बोलता है। उसके बाद उसकी प्रथम पाठशाला मां की गोद होती है। जहां वह सभ्यता, संस्कार व संस्कृति को अपनाता है और उसी वातावरण में ढलता है। इसलिए मां को सर्वोपरि स्थान दिया गया है। उन्होंने व्यक्ति के संबंध व संपर्क में अंतर बताते हुए कहा कि संबंध बने रहने पर व्यक्ति अपने आप खुद आता है। चाहे वह पारिवारिक हो या ईश्वरीय या रिश्तेदारी का। लेकिन संपर्क में व्यक्ति बुलाने पर ही आता है। संबंध जैसे दूध व पानी की तरह होना चाहिए। संपर्क सदैव दूध व तेल की तरह होता है। हमारे आपसी संबंधों में या ईश्वरीय संबंधों में तीर्थ जैसी पवित्रता और शुद्धता होती है तो वहां महावीर जैसा श्रीराम जैसा वीर पुरुष पैदा होता है। वर्तमान संस्कृति को बर्बाद करने के लिए पाश्चात्य संस्कृति हमला कर रही है। हमें सदैव पाश्चात्य संस्कृति से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम आज मकान बनाते हैं घर नहीं। घर तो बसााय जाता है। हर जीव मात्र को हर क्षण प्रेम करना चाहिए। हर व्यक्ति के प्रति हमारे मन में प्रेम होना चाहिए।