चंबल और यमुना नदी के बढ़े जलस्तर के कारण बाढ़ की स्थिति से जूझ चुके क्षेत्रों में अब बाढ़ के बाद की चुनौतियां सामने आ रही हैं। पानी उतरने के बाद घरों, दरवाजों और गलियों में फैला कीचड़, गंदगी और दुर्गंध लोगों की जिंदगी को और अधिक मुश्किल बना रही है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि जहरीले कीड़ों का प्रकोप बढ़ गया है, जो लोगों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन रहा है। सांप, बिच्छू और अन्य हानिकारक कीड़े-मकोड़े कई घरों में घुस चुके हैं। साथ ही, गलियों और रास्तों पर जमा कीचड़ से आवागमन में परेशानी हो रही है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की स्थिति में डेंगू, मलेरिया, त्वचा रोग, दस्त और अन्य संक्रमण फैलने का खतरा बहुत अधिक है। अगर समय रहते साफ-सफाई और दवा छिड़काव की व्यवस्था नहीं की गई, तो बीमारियों का अंबार लग सकता है।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन को अलर्ट मोड पर आने की जरूरत है। प्रभावित क्षेत्रों में फॉगिंग, ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव, स्वास्थ्य शिविर और जनजागरूकता अभियानों को तत्काल शुरू करना अनिवार्य है ताकि लोग सुरक्षित रह सकें और किसी बड़ी स्वास्थ्य आपदा से बचा जा सके।