सरकार की अमृत सरोवर योजना के तहत गांव-गांव में तालाबों का पुनर्जीवन तो हुआ, लेकिन अधिकांश तालाबों में पानी का अभाव है। जहां पानी भरा, वहां अब न केवल मछलियां मायूस हैं, बल्कि तालाबों की यह ‘अमृत’ पहचान जंगलों में खबर बन गई है। नतीजा यह है कि मगरमच्छ और अन्य जंगली जीव बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं। ग्रामीणों के लिए यह नई चुनौती बन गई है। डर और चिंता के बीच उनका दिन का चैन और रात की नींद उड़ चुकी है।
सैफई ब्लॉक के हरदोई गांव के 200 बीघा के तालाब में बीते 20 दिनों से मगरमच्छ ने डेरा डाल रखा है। चकरनगर ब्लॉक के भोया गांव में तालाब में एक मगरमच्छ अपने ‘परिवार’ के साथ 12 दिनों से मौजूद है। ये मगरमच्छ अब जब-तब गांव की बस्तियों के करीब भी आ जाते हैं, जिससे ग्रामीणों में खौफ का माहौल बन गया है। गांववालों का कहना है कि तेंदुआ, जंगली सुअर और मगरमच्छ जैसे जंगली जीव अब बस्तियों में आ रहे हैं। यह ग्रामीणों के लिए गंभीर खतरा है।
कैफी आजमी के एक शेर की तर्ज पर यह कहा जा सकता है:
“शोर यूं ही न परिंदों ने मचाया होगा, कोई जंगल की तरफ शहर से आया होगा।”
लेकिन स्थिति उलटी हो गई है। अब जंगल से मगरमच्छ और अन्य जीव बस्तियों की ओर आ रहे हैं, जिससे ग्रामीणों का जीवन मुश्किल में पड़ गया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इन मगरमच्छों को तालाब से हटाने और जंगली जीवों के खतरे से बचाव के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। अमृत सरोवर योजना ने तालाबों को फिर से पहचान तो दी, लेकिन पानी और सुरक्षा के अभाव में यह योजना ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बनती जा रही है।
प्रशासन को चाहिए कि वह इन तालाबों में पानी का स्थायी प्रबंधन करे और बस्तियों में आने वाले जंगली जीवों को जंगलों में वापस भेजने की योजना बनाए। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो किसी बड़ी दुर्घटना का खतरा मंडरा सकता है।