इटावा। शहर के सराय शेख क्षेत्र में करीब 10 साल से बिना पंजीकरण के चल रही अवैध दवा फैक्टरी का पर्दाफाश मंगलवार देर शाम औषधि विभाग की टीम ने किया। इस फैक्टरी में एक्सपायर्ड दवाओं को पीसकर उनका इस्तेमाल खतरनाक कैप्सूल बनाने में किया जाता था। इन दवाओं को झोलाछाप डॉक्टरों के जरिए इटावा के साथ-साथ कन्नौज, औरैया और मैनपुरी के चुनिंदा मेडिकल स्टोरों तक पहुंचाया जाता था।
औषधि निरीक्षक रजत पांडेय ने बताया कि छापे के दौरान फैक्टरी से 90,000 खाली कैप्सूल, 1,186 भरी और खाली आयुर्वेदिक शीशियां, लेबल, मिक्सर, वंडरफनल, चम्मच और रंग-बिरंगे करीब 20,000 कैप्सूल बरामद किए गए। फैक्टरी में मिले दवाओं के बोरे में अधिकतर एंटीबायोटिक, पैरासीटामॉल, सिफिचिन, जोरोन, पोटेशियम और एवरसोफेनिक जैसी दवाएं थीं। यह दवाएं फरवरी और अप्रैल में एक्सपायर हो चुकी थीं।
औषधि विभाग ने नौ बोरे में करीब छह साल पुराना माल सीज किया और लखनऊ में जांच के लिए भेज दिया। दवाओं के नमूने राजकीय प्रयोगशाला सेक्टर-सी अलीगंज भेजे गए हैं, जहां रिपोर्ट आने के बाद आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। दवाओं की कीमत लगभग छह लाख रुपये आंकी गई है।
फैक्टरी के संचालक राजीव कुमार ने पूछताछ में बताया कि वह मिक्सर में एक्सपायर्ड दवाओं को पीसकर रंग-बिरंगे पाउडर में भरकर इटावा, कन्नौज, औरैया और मैनपुरी के विभिन्न क्षेत्रों में बेचते थे। इस खुलासे के बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।