Friday, November 21, 2025

ग्रामीण अंचलों में समूह की महिलाओं ने हर्षोल्लास के साथ मनाई गांधी जयंती

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इटावा  । उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा संपोषित अनंत संकुल स्तरीय संघ हरदोई के महिलाओं द्वारा जेके उत्सव गार्डन टिमारूआ में गांधी जयंती के अवसर पर पूज्य बापू के आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। उनको विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।

डॉ. नन्दकिशोर साह जिला मिशन प्रबंधक ने बापू के विचारों को उद्धृत करते हुए कहा कि गांधी जी स्त्रियों के सामाजिक उत्थान के लिए भी बहुत चिंतित थे। वे मानते थे कि बाल विवाह, पर्दा प्रथा सती प्रथा और विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियों के कारण महिलाएं समाज का सामना नहीं कर पाती और शोषण अन्याय अत्याचार को झेलने के लिए विवश होती है। इनमें किसी भी तरह का भेदभाव परिवार व समाज के लिए हानिकारक है। इस संसार को सुंदर और सशक्त बनाने में नारियों की भूमिका अहम है। नारी सृष्टि का प्रमुख उद्गम स्रोत है। देव से लेकर मानव तक सारे की जन्मदात्री स्त्री ही रही है। महिलाओं ने घर से निकलकर सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया और स्वर्णिम इतिहास रचा।प्राचीन भारतीय ग्रंथों में बताया गया है कि देवी शक्तियां वहीं पर निवास करती है जहां नारी का सम्मान होता है। किसी भी राष्ट्रीय समाज का विकास तभी हो सकता है, जब उस राष्ट्र में नारी और नर में कोई भेद न हो। गांधीजी दहेज प्रथा को खरीद बिक्री का कारोबार मानते हैं। युवक जो दहेज को विवाह की शर्त रखता है। वह अपने शिक्षा व देश को कलंकित और नारी जाति का अपमान करता है। भारतीय नारी की क्षमता और किसी भी उन्नतशील देश की नारी से कम नहीं है। वह कहते थे कि अपनी बेटी को पढ़ने का अवसर दो उसके लिए यही सबसे बड़ा दहेज है। गांधीजी बाल विवाह के विरोधी और विधवा पुनर्विवाह के पक्षधर थे। उन्होंने युद्ध रहित शांत प्रिय समाज की कल्पना की। नारी को नैतिक शक्ति का स्रोत माना है। अपनी शक्ति को न पहचानने के कारण ही नारी शोषित हुई है। भारत के आर्थिक और सामाजिक जीवन में नारी की बराबरी की भागीदारी है। वे नारी को पुरुष की दासी नहीं साथी मानते थे। स्त्री के बिना परिवार के गाड़ी नहीं चल सकती। स्त्री व पुरुष एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। स्त्री परिवार अर्थशास्त्र रूपी रथ की धूरी है। वह घर और बाहर दोनों के कार्यों को बखूबी निभाती है। यदि स्त्री बाहर भी कार्यशील है तो वह पुरुष से कई गुना आर्थिक और शारीरिक बोझ उठाती हैै। इसलिए स्त्री पुरुष की अपेक्षा हर तरह से अधिक श्रेष्ठ है।

मौके पर संघ के अध्यक्ष मानकश्री रीमा राधारानी, अरुणा, वंदना, ज्योति, रिचा, रजिया बेगम, मिथिलेश, अनिता कुमारी, पूजा, आरती,सीमा, विनीता सहित कई महिलाएं मौजूद रही।

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