इटावा,जसवंतनगर। नेक नियत,खुलूस मोहब्बत और शुद्ध आत्मा से जो भी काम किया जाता है कुदरत उसमें खुद चार चांद लगा देती है। खादिम ने अपने पत्रकारिता के जीवन में एक नहीं हजारों सामाजिक, राजनैतिक कार्यक्रम के अलावा विवाह व शादियों के कार्यक्रमों में सहभागिता की है। प्रधानमंत्री से लेकर अन्य हस्तियों के कार्यक्रमों हिस्सा लेने का भागीदार बना है।इसमें फाइव स्टार होटलों से लेकर बड़े बड़े आलिशान मैरिज होमों से लेकर बड़े बड़े मैदानों में आयोजित हुए कार्यक्रमों का साथी रहा है। परंतु जो कार्यक्रम बी एस जी फार्म हाउस जसवंतनगर में पूर्व काबीना मंत्री विधायक शिवपाल सिंह यादव के प्रतिनिधि हाजी मोहम्मद अहसान पेंटर राईनी के हज दावत समारोह में कुदरत का नूर बरसते हुए देखा वह अपने आप में लाजवाब व बेमिसाल था।यहां पर विभिन्न जनपदों से आए हुए हाजियों का हुजूम तो उमड़ा ही लेकिन सभी धर्म मजहब,वर्ग के लोगों का जनसैलाब उमड़ा वह लम्बे समय तक याद किया जाता रहेगा।
इस आलिशान कार्यक्रम की खूबी यह रही कि इसमें शामिल हुए लोगों की मेजबानी हाजी अहसान के साथ खुद शिवपाल सिंह यादव ने की। शायद शिवपाल सिंह यादव के लिए यह पहला मौका होगा कि उन्हें एक ही मंडप के नीचे प्रदेश भर के हाजियों से रूबरू होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस कार्यक्रम में भारत की साझा गंगा जमुनी संस्कृति के साक्षात रूप से दर्शन हो रहे थे।
कुदरत दिल दे तो हाजी अहसान पेंटर जैसा दे,जिन्होंने हर आगुंतक के लिए लजीज भोजन की व्यवस्था फाइव स्टार होटल से बढ़कर की,जिसमे वेज व नॉनवेज भोजन की व्यवस्था शामिल रही।हजारों लोगों को मेज कुर्सी पर बैठकर खाना खिलाना हर किसी के बस की बात नही थी। लेकिन कुदरत की असीम कृपा थी कि हाजी अहसान साहब के हज दावत की खुशी का यह खाना बड़े करीने तथा व्यवस्थित रूप से चल रहा था,जबकि वेज भोजन का इस्तेमाल करने वाले लोग बफर सिस्टम से आनंदित थे।
पंडाल की सुंदरता देखने लायक थी,ऐसा महसूस हो रहा था कि स्वर्ग धरती पर उतर आया हो ?खादिम तो वहां की सजावट और व्यवस्था को निहारता ही रह गया।वेज व नॉनवेज व्यंजनों में ऐसी कौन सी हलाल चीज थी जो इस हज दावत में न परोसी गई हो।मेहमान और मेहमाननवाजी के साथ मेजवानी का यह अनूठा संगम आगंतुकों को हमेशा याद रहेगा। जहां एक ओर आगुंतक इस हज दावत समारोह में उपस्थित होकर हाजी अहसान साहब को मुबारकबाद देकर प्रसन्न मुद्रा में थे,वहीं दूर दराज से आए आगुंतक हाजियों व अन्य समाज सेवियों का हाजी अहसान साहब खुद उनका माल्यार्पण करके तथा शॉल उढ़ाकर स्वागत कर रहे थे,मेहमान और मेजवानी का यह अनूठा संगम काबिले तारीफ़ था ।
जब कुदरत की मेहरबानी होती है, तब हर चीज अपना जलवा और वैभव दिखाने लगती है। हिंदू हों या मुसलमान व अन्य वर्ग के लोग जो भी वहां पहुंचे उनके मुख से एक ही शब्द निकला वाह,हाजी जी।अहसान साहब की दरियादिली,खूलूस और मोहब्बत की सभी ने तारीफ की उनके यहां के भोजन में मोहब्बत की मिठास शामिल थी। खादिम के पत्रकारिता के गुरु स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,पत्रकारिता के भीष्म पितामह पंडित देवीदयाल दुबे अपने शिष्यों से कहते थे कि समाज में कोई अच्छा काम करे,उसकी प्रशंसा होनी चाहिए तथा समाचार के माध्यम से उसकी सुगंध जन जन तक पहुंचाई जाए जिससे समाज प्रेरणा ले। खादिम अब्बास, मोहम्मद आमीन भाई पत्रकार के साथ हज दावत समारोह में शामिल हुआ,साथ में इमरान अहमद एडवोकेट,और मोहम्मद फईम अब्बास एडवोकेट ने भी इस हज दावत समारोह में शिरकत की।