ताखा: बढ़ती ठंड के साथ ही ताखा क्षेत्र में आलू की फसल पर पछेती झुलसा रोग का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह रोग फसल की पत्तियों, तनों और कंदों को प्रभावित करता है, जिससे पैदावार में भारी गिरावट आ सकती है।
पछेती झुलसा रोग के लक्षणों में पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे और कंदों का सड़ना शामिल है। इस रोग से बचाव के लिए किसानों को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए: नमी का प्रबंधन: सिंचाई का सावधानीपूर्वक प्रबंधन करें ताकि फसल में अधिक नमी न रहे। फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव: समय-समय पर रोगरोधी फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव करें। ओस और रात के तापमान पर नजर: ओस और रात के तापमान पर लगातार नजर रखें, क्योंकि ये रोग के फैलाव को बढ़ावा देते हैं।
ब्लॉक क्षेत्र के ऊसराहार के आसपास के गांवों में बड़ी संख्या में किसान आलू की फसल लगाते हैं। यह क्षेत्र पूरे क्षेत्र के आलू उत्पादन का लगभग 60% हिस्सा पैदा करता है। इसलिए, यहां आलू की फसल को होने वाले नुकसान से किसानों की आय पर गहरा असर पड़ सकता है। एडीओ कृषि शिवम कुमार ने बताया कि आलू की जड़ में गलन की समस्या भी देखी जा रही है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि वे फंगीसाइड दवाओं का प्रयोग करें।