ताखा क्षेत्र में बड़ी संख्या में निराश्रित गोवंश किसानों के लिए गंभीर समस्या बन गए हैं। ये पशु रबी की फसलों को बर्बाद करने के साथ-साथ सड़कों पर घूमते हुए राहगीरों पर हमला कर उनकी जान को भी खतरे में डाल रहे हैं।
ताखा और आसपास के गांवों में गोशालाओं की अनुपलब्धता ने किसानों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। ताखा पंचायत के साथ-साथ कुदरैल, पटियायत, सोरों और अन्य 50 गांवों में कोई गोशाला नहीं है। इसके चलते किसान अपने खेतों की रक्षा के लिए रात में खेतों पर रुककर चौकीदारी करने को मजबूर हैं।
निराश्रित गोवंश खेतों में खड़ी फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। कई जगह तो पूरी फसल तक सफाचट कर दी गई है। किसानों ने इनसे बचने के लिए खेतों में बल्लियां लगाकर बेरिकेडिंग की है, लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। सर्दियों में ठंड के कारण किसानों की मुश्किलें और बढ़ने की संभावना है।
छुट्टा पशुओं के हमले के कारण कई राहगीर घायल हो चुके हैं, और कुछ मामलों में तो उनकी जान तक चली गई है। इस समस्या ने क्षेत्र में लोगों की सुरक्षा के प्रति गंभीर चिंता खड़ी कर दी है। इस संबंध में ताखा के बीडीओ राजकुमार ने कहा कि निराश्रित गोवंश की समस्या को हल करने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, क्षेत्र में गोशालाओं की कमी और बढ़ते निराश्रित पशुओं के कारण प्रशासन के सामने चुनौती बनी हुई है। किसानों और स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से तत्काल गोशालाओं की स्थापना और छुट्टा पशुओं पर नियंत्रण के लिए ठोस उपाय करने की मांग की है।