बकेवर क्षेत्र में डीएपी खाद की भारी कमी हो गई है, जिसके कारण किसानों को खेतों की बुवाई में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र की साधन सहकारी समितियों पर डीएपी खाद नदारद है और निजी दुकानों पर चोरी-छिपे बिक रही डीएपी पर किसानों का विश्वास नहीं है। इसके कारण किसान मजबूरी में एनपीके खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन उन्हें डर है कि इससे उनकी पैदावार कम हो सकती है। रवी फसल विशेष रूप से गेहूं की बुवाई का समय आते ही क्षेत्र की समितियों से डीएपी खाद गायब हो चुकी है। इन समितियों पर केवल एनपीके खाद उपलब्ध है, जो महंगे दामों पर दी जा रही है। किसान एनपीके खाद से सरसों और आलू की बुवाई कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इसकी उपयुक्तता पर संदेह है।
चन्द्रपुरा गांव के किसान राजू परिहार ने बताया कि उन्हें समितियों पर डीएपी खाद नहीं मिल रही है, इसलिए उन्हें एनपीके खाद के सहारे सरसों और आलू की बुवाई करनी पड़ी है। लखना के किसान विनोद सिंह राजावत ने कहा कि वह दो से तीन बार डीएपी के लिए समितियों का चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन हर बार खाली हाथ लौटना पड़ा।
भरथना कस्बे के मुहल्ला बालुगज स्थित क्रय-विक्रय समिति पर भी किसानों को डीएपी खाद नहीं मिल रही है। खाद लेने आए किसानों ने बताया कि यह समय धान और आलू की बुवाई का है, लेकिन डीएपी न मिलने के कारण वे गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। क्रय-विक्रय समिति के अध्यक्ष अरुण कुमार ने बताया कि समिति पर डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है, लेकिन यूरिया खाद उपलब्ध है। जैसे ही डीएपी खाद उपलब्ध होती है, किसानों को समय पर वितरण किया जाएगा।
डीएपी खाद की कमी के कारण किसानों में निराशा का माहौल है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार इस समस्या का समाधान शीघ्र करें ताकि वे अपनी फसलों की बुवाई सही तरीके से कर सकें और अच्छे उत्पादन की उम्मीद कर सकें।