इटावा। गोपाष्टमी का पर्व शनिवार को श्रद्धाभाव के साथ परंपरागत ढंग से मनाया गया इस पर्व के मौके पर गौ माता का श्रंगार कर पूजन अर्चन भी किया गया। वही लोगों ने परिक्रमा भी लगाई। श्रद्धालुओं ने गौशालाओं में जाकर भी पूजा अर्चना करने के बाद दान पुण्य भी किया।
श्री श्री गौर निताई परिवार के तत्वावधान में भी गोपाष्टमी का पर्व श्रद्धाभाव के साथ परम्परागत ढंग से मनाया गया। गौर निताई परिवार के प्रमुख पंडित मनुपुत्र दास ने भक्तो के साथ गौ माता को स्नान कराकर उनका श्रृंगार किया और पूजन अर्चन करने के साथ आरती भी उतारी। हरी सब्जियों के साथ फल व गुड़ पूड़ी सब्जी का भोग भी लगाया। गौ माता के पूजन अर्चन के समय श्रद्वालु बाद्य यंत्रों के साथ हरिनाम संकीर्तन करते रहे। पंडित मनु पुत्र के साथ सभी भक्तों ने गौ माता की परिक्रमा भी
की। शहर में अन्य स्थानों पर भी लोगों ने गौ माता का पूजन अर्चन कर सुख समृद्धि व सौभाग्य की कामना की। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है।
पंडित मनुपुत्र दास ने बताया कि
भविष्य पुराण, स्कंद पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण, महाभारत में भी गौ माता के अंग-प्रत्यंग में देवी-देवताओं की स्थिति का विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है। उन्होने कहा आज ही वो पवित्र दिन है जब भगवान श्री कृष्ण पहली बार गौ वंश को चराने के लिए जंगल में गए थे और ब्रजवासियों को गौ वंश का महत्व बताया था। गोपाष्टमी के दिन ही पहली बार श्री कृष्ण ग्वाला बने थे और उन्होंने गाय चराना शुरू किया था। इस दिन गौ माता के पूजन का विधान है।
उन्होंने कहा गौ माता से भगवान श्री कृष्ण का ख़ास लगाव और जुड़ाव है। श्री कृष्ण के कारण ही आज गाय को माता की संज्ञा दी जाती है। सच्चे दिल से गौ माता की भक्ति, सेवा और पूजा करने वाला व्यक्ति आने वाली समस्याओं से छुटकारा पा लेता है साथ ही उस पर भगवान श्री कृष्ण की कृपा भी बनी रहती है। गौ माता मात्र प्राणी ही नहीं संसार का प्राण भी है। गंगा, गायत्री, गीता, गोवर्धन और गोविन्द की तरह ही गौ माता भी पूजनीय है।
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