इटावा। जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर सरसई नावर में स्थित हजारी महादेव मंदिर महाभारत कालीन पौराणिक मंदिर है।ऐसा बताया जाता है कि इस ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर की पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान स्थापना की थी।यहाँ सावन के महीने में विशेष महत्त्व के कारण श्रद्धालुओं की भीड़ उमडती है।इस मंदिर में 1 हजार शिवलिंग होने के कारण इसका नाम हजारी महादेव पड़ा है।
तहसील ताखा के सरसई नावर में स्थिति प्राचीन हजारी महादेव मंदिर शिव भक्तों का प्रमुख आस्था का केंद्र है। इस मंदिर में 1 हजार शिवलिंग है। इस कारण इस मंदिर को हजारी महादेव के नाम से जाना जाता है। यह लोगों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है। देश भर से श्रदालु यहां पर भगवान भोले के दर्शन एवं पूजा-पाठ के लिए आते रहते हैं।
यहाँ पर सावन माह के अलावा महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। इस मंदिर की स्थापना के बारे में बताया जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के समय अपने तप से स्वयंभू हजारी महादेव को प्रकट किया था। जिस समय पांडव अज्ञातवास कर रहे थे।उसी समय वह इस क्षेत्र से होकर निकले थे।
यहां पर पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। इस पूजा का फल प्राप्त करने के लिए उनके द्वारा हजारी महादेव के दिव्य शिवलिंग की स्थापना की गई थी। इस मंदिर से जुड़े अवशेष के आधार पर पुरातत्व विभाग ने भी इस मंदिर को महाभारत कालीन माना है।
यह मंदिर अब पहले से और भी ज्यादा भव्य बन गया है। यहाँ पर मुख्य शिवलिंग के अलावा राम दरबार लक्ष्मीनारायण माता काली संकट मोचन हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित हैं। सावन के महीने में यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है।