इटावा। सामाजिक पक्षी गौरैया सदियों से ही हमारे आपके घर परिवार एक हिस्सा रही है हमारे आपके बचपन की दोस्त और साक्षी भी रही है। हमारे आपके घर के आंगन के रोशनदान में उछल कूद करती फुर्र फुर्र कर उड़कर ब्राउन सफेद काले मिक्स रंग की ची ची करती नन्ही चिड़िया सभी लोगों का मन मोह लेती थी। जी हां वही नन्हीं चिड़िया अब संकट की चौखट पर खड़ी होकर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। दोस्तों, अब उसे बचाना भी है क्यों कि, गौरया चिड़िया हमारे पर्यावरण और घर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी रही है और आज भी है। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी भी कहते हैं कि ये सारे पंछी हमारे स्वस्थ पर्यावरण के प्रतीक भी होते हैं । घरों से गौरैया पक्षी के खत्म होने से हमारे घर का पर्यावरण भी बिगड़ सकता है । यह पक्षी हमारे घर की सकारात्मक ऊर्जा की प्रतीक होती थी अब आज के इस आधुनिक काल में जब चारों ओर बड़े बड़े कंक्रीट के जंगल ही हरे भरे पेड़ों को जगह लेते जा रहे है तब ऐसे में हमें अपने आस पास कहीं न कहीं इस नन्हीं सी घरेलू सामाजिक चिड़िया के परिवार के रहने के लिए कम से कम एक स्वयं निर्मित घोंसला रखना ही चाहिए जिसमे थोड़ा दाना और पानी की व्यवस्था भी अवश्य ही होती रहनी चाहिए । जनपद इटावा में पर्यावरण एवम वन्यजीव संरक्षण के लिए पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से कार्य कार्य कर रही संस्था ओशन के महासचिव पर्यावरणविद एवम वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ आशीष त्रिपाठी का कहना है कि, हमारी आधुनिक जीवन शैली की वजह से हम प्रकृति के साथ साथ हमारे आस पास पाई जाने वाली कई प्रकार की जैव विविधता के संरक्षण और महत्व से लगातार दूर होते जा रहे है। इसी के साथ ही हमारी प्यारी गौरैया भी हमसे हमारी आधुनिकता और अनदेखी की वजह से ही दूर हो गई है। आज हमने अपने घरों की चौखट से आधुनिकता की दौड़ में रोशनदान ही गायब ही कर दिया है साथ ही हमारे घरों में पालतू जीवों में विशेषकर कुत्तों ने घरों में सुरक्षा की दृष्टि से अपना स्थान सुरक्षित किया है जिनसे गौरैया डरती है लेकिन कभी अचानक से आपके घर में घुस आई बिल्ली या कोई सर्प के दिखाई देने की चीख चीख कर सूचना देने वाली हमारी नन्हीं चिड़िया अपना घोंसला और हम लोगों के दिलों में अपनी जगह नही बना पाई। लेकिन इसी कड़ी में अब से लगभग एक दशक पहले सन 2010 से कई देशों ने गौरैया दिवस को मनाया और अब लगभग 50 देश इस अंतरराष्ट्रीय दिवस 20 मार्च को गौरैया पक्षी को सम्मान देने के लिए उसके संरक्षण दिवस के रूप में मना भी रहे है। आज जनपद इटावा मे शहरी इलाकों को छोड़कर कुछ ग्रामीण इलाकों में हमारी प्यारी गौरैया चिड़िया पुनः दिखाई देने लगी है। ये एक अच्छा संकेत भी है लेकिन अब बस उसे पूर्ण संरक्षण देने के लिए हमारे आपके छोटे छोटे से प्रयास और इच्छाशक्ति की भी बेहद आवश्यकता है। फिर देखिएगा की यह नन्ही सी चिड़िया आपके ही घर में फुदक फुदक कर ची ची करके आपका और आपके परिवार का अवश्य ही मन मोह लेगी।