Saturday, September 21, 2024
Homeहमारा इटावा‘तपोभूमि‍ है इटावा की धरती’ पांडवों ने यहीं बनाई थी ‘महाभारत युद्ध’...

‘तपोभूमि‍ है इटावा की धरती’ पांडवों ने यहीं बनाई थी ‘महाभारत युद्ध’ की योजना

जनपद इटावा डेढ़ सौ वर्ष पुराना जि‍ला है। वर्तमान में यह कानपुर कमि‍श्‍नरी में शामि‍ल है। पूर्व में यह आगरा एंव इलाहाबाद कमि‍श्‍नरी में भी रह चुका है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जि‍ले की कुल आबादी 15 लाख 79 हजार160है। जनपद मे 5 तहसीलें सदर इटावा, भरथना, जसवन्‍तनगर, चकरनगर और सैफई है।  8 ब्‍लाक महेवा, भरथना, ताखा, बसरेहर, बढ़पुरा, चकरनगर, जसवन्‍तनगर तथा  सैफई हैं। कुल थानों की संख्‍या 19 है। ये सदर कोतवाली, थाना सि‍वि‍ल लाइन, इकदि‍ल, भरथना, ऊसराहार, बकेवर, चकरनगर, सहसों, भरेह, जसवन्‍त नगर, सैफई, बलरई, बसरेहर, चौबि‍या, पछांयगांव,   लवेदी, बि‍ठौली, वैदपुरा, बढ़पुरा जबकि‍ एक महि‍ला थाना भी है।

इटावा की धरती कि‍तनी पावन और तपोभूमि‍ है इसका पता सहसा नहीं चलता, यदि‍ इति‍हास के पन्‍ने खंगाले तो जो कुछ भी मालूम पड़ता है उससे इस धरा पर रहने और जन्‍मे लोगों को अपनी खुशकि‍स्‍मती पर नि‍श्‍ि‍चत तौर पर काफी गर्व की अनुभूति‍  होगी। इष्‍टि‍कापुरी हर प्राणी की अभीष्‍ट कामना पूर्ण करने वाली तपोभूमि‍ रही है। चतुर्दिक वाहि‍नी यमुना के तट पर शैवतंत्र,साधना एंव शक्‍ि‍त साधना के पवि‍त्र स्‍थल रहे है। काली वाहन,कालीबाड़ी एंव खटखटा बाबा के समाधि‍ स्‍थल भी है। श्री वि‍द्यापीठ एंव यमुना के सभी घाट कि‍सी न कि‍सी साधना पद्धति‍ के सि‍द्ध स्‍थल रहे हैं।  यही वह जगह है जहां पर नंका नरेश रावण और महर्षि वशि‍ष्‍ठ ने भी तपस्‍या की। बात देवालयों की करें तो कुन्‍डेश्‍वर,भारेश्‍वर,नीलकंठेश्‍वर,सरसईनावर के हजारी महादेव के अलावा कालीवाहन लखना का कालि‍का मंदि‍र,बलरई के बीहड़ में स्‍ि‍थत ब्रहमाणी मंदि‍र शक्‍ि‍तपीठ ईष्‍ट प्राप्‍ति‍ के साधन है। यह शायद कम ही लोग ये जानते होंगे कि‍ यहीं पर पांडवों ने अज्ञातवास के एक वर्ष ही नहीं बि‍ताये थे, वरन भीम ने बकासुर नाम के राक्षस का वध भी कि‍या था। हिडि‍म्‍बा और बकासुर जैसे राक्षसों के प्रभुत्‍व वाला दुर्गम अरण्‍य भाग भी यहीं पर है और यहीं के द्ववन पर पांडवों ने महाभारत युद्ध की योजना भी बनाई थी। कहा जाता है कि‍ पांडव पुत्र वनवास और अज्ञातवास के दौरान ही खांडवप्रस्‍थ की घटना के बाद बार–बार इष्‍टि‍कापुरी(इटावा) आये। यहीं पर महर्षि धौम्‍य की सलाह पर द्रोपदी ने अजस्‍त ऊर्जा के स्रोत मार्तण्‍डोपासना कर अक्षयपात्र की प्राप्‍त की थी इटावा पांडवों के कुल पुरोहि‍त महर्षि धौम्‍य का आश्रम ही नहीं बल्‍ि‍क अपने समय का विश्‍व का सबसे बड़ा शि‍क्षण संस्‍थान भी रहा, जहां आरूणि‍ और उपमन्‍यु जैसे अनगि‍नत शि‍ष्‍यों ने शि‍क्षा ग्रहण की।

इटावा का पोल

spot_img
spot_img
हमारा इटावा
प्रशासनिक अधिकारी
चिकित्सक

Advertisements

spot_img

आज की खबरें