महेवा ब्लॉक के गांव आसई में लाखों रुपये की लागत से बनाया गया शवदाह गृह कई वर्षों से बेकार पड़ा है। यमुना नदी के पास स्थित यह शवदाह गृह अब केवल शोपीस बनकर रह गया है। इसकी दीवारें टूट चुकी हैं और अंदर घास-झाड़ियां उग आई हैं।
आसई गांव का यमुना घाट कार्तिक पूर्णिमा के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन शवदाह गृह का उपयोग अब तक शुरू नहीं किया जा सका है। स्थानीय लोग आज भी शवों को यमुना नदी में प्रवाहित करने या किनारे पर जलाने को मजबूर हैं, जिससे न केवल नदियों का प्रदूषण बढ़ रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान हो रहा है।गांववासियों ने बताया कि शवदाह गृह को बनाए कई साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक यहां एक भी अंत्येष्टि नहीं की गई। प्रशासन की उदासीनता के चलते यह सुविधा उपयोग में नहीं आ रही, जिससे ग्रामीण अब भी परंपरागत तरीकों पर निर्भर हैं।
ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि शवदाह गृह को जल्द चालू किया जाए और इसकी मरम्मत कर इसे उपयोगी बनाया जाए। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी, बल्कि धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी लोगों को राहत मिलेगी।